Some lines
रुतबा तो ख़ामोशियों का होता है
अल्फ़ाज़ का क्या है
वो तो बदल जाते हैं
अक्सर हालात देख कर
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ना रख उम्मीद ए वफ़ा किसी परिंदे से
जब पर निकल आते हैं
तो अपने भी आशियाना भूल जाते हैं
- Iqbaal
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कितना भी ज्ञानियों के साथ बैठ लो
तजुर्बा बेवकूफ़ बनने के बाद ही मिलता है
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तुझे पाने की कोशिश में
कुछ इतना खो चूका हूँ
की तू मिल भी जाए अगर
तो अब मिलने का ग़म होगा
- Wasim Barelvi
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एक उम्र गुस्ताख़ियों के लिए भी नसीब हो
ये ज़िन्दगी तो बस अदब में ही गुज़र गयी
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ज़िन्दगी की उलझनों ने कम कर दी हमारी शरारतें
और लोग समझते हैं की हम समझदार हो गए
2/17/2020 10:56:00 pm
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