Dear Friend,
दोस्त तो तुम अब भी हो पर अब ये बातें बताता नही हूँ तुम्हे। पहले अपनी तकलीफ़ बाँट लेता था तुमसे। अब जब तुम भी अपनी दुनिया में हो तो मन नहीं करता। वो भी क्या बार बार एक ही चीज़ का दुखड़ा गाना। तुम्हे भी तो बोरियत हो जाएगी। अब तो हमें आदत हो गयी है ग़लत इंसान से मोहब्बत करने की। इसीलिए अब किसी और के बारे में सोचते भी नहीं।
अब भी रात को जब दर्द बढ़ता है तो दिल करता है कि तुम्हे बताऊं। पर फिर सोचता हूँ इससे न तो कुछ बदलेगा, उल्टा बेकार की बातें तुम्हे झेलनी पड़ेंगी। भले ही तुम्हारा मन हो या ना हो सुनने का। इसलिए अब और परेशान नही करता। नही चाहता के डर सोचो की ये देखो ये लड़का फिर से अपना रोना शुरू कर दिया। और बात सही भी है।
में बदल इसलिए भी गया हूँ क्योंकि पहले जैसा अब कुछ भी कहाँ रह गया है। पहले में और तुम ही थे। अब तो कोई और ज़्यादा आ गया है। और तब की बात अलग थी। अबकी बार ये जो दिल टूटा है, ये ना जुड़ेगा। Maturity के बाद जब ऐसा होता है तो शायद अब ये पूरी जिंदगी के लिए है। तब तो थोड़ा बचपना था ही।
तुम्हारा बदला हुआ दोस्त
3/28/2020 12:50:00 am
Share:
0 comments: